Wednesday, January 30, 2008

यादों की बारात (हिंदी)

क्या दिन थे वो बचपनके !
पाठशाला में जाते थे,
तितलिओंके पीछे दौडते,
खुद तितली बनते थे….

सुबह से शामतक, पढाईके घंटोंके
आनंद हो या मौज, भाव अपने अलग थे
गणितके नियमोंके, कविताके झुलोंके
विज्ञान की खोजोंके, इतिहासके विनाशोंके …. १

नाम सारे दोस्तोंके, टेढेमेढे कर देते थे
भागादौडीमें हम, खाना-पीना भूलते थे
वैसे तो मासूम थे दिन, शैतानीभी करते थे
पढाई ना होनेपर, सौ बहाने बनते थे… २

पीठ मल जाने पर, ऑंसू ऑंखमें होते थे
“प्यारा होता है बचपन”, झूठ सारे लगते थे
कुछ अच्छा करनेपर, टीचरभी तो मुस्काते थे
हमारी पीठ पे हाथ उनके, गर्वसे फिर जाते थे …३


रिसेस में हो कौनसा खेल, पहलेही तय कर देते थे
चीटींग गर कोई करे तो, चिल्लमचिल्ली करते थे
पॉंच मिनटोमेंही बस्स, सबकुछ भूल जाते थे
एक-दूजे का खाना फिर, अपना मानके खाते थे… ४

खेलकूद के घंटेमें, खूब मन लगाते थे
नाटक में पात्र निभाने, सबसे पहले जाते थे
लडकियों के साथ लडके, बातेंभी ना करते थे
ख्वाब लेकिन तब हमारे, नाजूकसे तो होते थे… ५

धन कितना बटोर रहे हैं, हम नहीं जानते थे
झोलेमें और क्या भरें, पहचान नहीं पाये थे
पर क्या सुहाने दिन थे ना वो बचपन के?
तितलिओंके पीछे दौडते, खुद तितली बन जाते थे….
तितलिओंके पीछे दौडते, खुद तितली बन जाते थे….६

8 comments:

पूनम छत्रे said...

mast aahe..
shaaLeche diwas kadhIhI nostalgic karataat :)

Tejoo Kiran said...

छानच आहेत कविता. विषेशतः शाळेच्या दिवसांचे वर्णन खुपच छान आले आहे.-- तेजू

Anonymous said...

Atishay sunder. I remembered this another poem from my primary school days.

Mala vatate basuni vimani
aphat gagani hindave
kiva sunder nauke madhuni
samudratuni bhatkave

nila nila to samor dongar
chadhuni tyavar pahave
..................... and so on.

I think Kavi Mardhekar or balkavi thomre.

As I have been saying, you are very gifted.Please bring out all your talent thru such poems.

Sanjeev Rege

Anonymous said...

we could see the other side of sandeep chitre...thodasa halava, khupach sundar aahe, no 1 can deny this fact.

Anonymous said...

Wow!! This is a very nice poem. Just went back in my school memories..

Dipti Kulkarni-Deshmukh

Nidhi said...

Very beautiful, Sandeep. It took me straight to my childhood memories.

Nidhi said...

Very beautiful, Sandeep. It took me straight to my childhood days.

Anonymous said...

I am also looking for same poem, I want full poem but thanks for sharing.