शादी से पहले हाथों में हाथ
लब्जों में भी खूब मिठास
घंटोंतक चले फोनपे बात
हर शाम उन्हें मिलने के बाद….
आसमान में हो नीला रंग
या फिर बरखा का मौसम
एक छोटासा, कप कॉफी का
होता था दीवानोंके संग….
शादी होते ही सबकुछ बदला
उनका तो ना सिर्फ नाम बदला
घर आते हैं शाम को अब हम
लिए हाथ में सब्जी का थैला…
बातें अब भी होती हैं
घंटोंतक वे चलती हैं
घरखर्चा और बच्चोंकी फीस
जेब में क्या कुछ बाकी है?
ऐसा नहीं के प्यार हुआ कम
बस कहने की फुरसद नहीं
बात अगर हों नजरोंसे तो
फिर कहने की जरूरत नहीं !!!
Saturday, February 16, 2008
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7 comments:
आपली शादी झालीय का व्हायचीय ?
>> आपली शादी झालीय का व्हायचीय ?
-- आपला काय अंदाज, हरेकृष्णजी ? !
अंदाज बांधणे कटीणच आहे बुवा.
लाजवाब....
शादी के बाद ही ऐसे लिख सकते हैं :)
राजश्री-राजेश
शादी झालीय, हरेकृष्णजी :)
क्यो, सन्दीपजी, आजकल net पर लोग पुछ रहे है शादी हुई के नही ? क्या बात है ? -- enjoyed..तेजू.
Was this the inspiration for the movie "shaadi ke side effects"? :)
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